मैं तुम्हें खोंते रफ़ू करना, आटा गूंधना और हर तरह का सालन पकाना सिखा दूंगा।
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मैं तुम्हें खोंते रफ़ू करना, आटा गूंधना और हर तरह का सालन पकाना सिखा दूंगा।
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मौलवी बादल ने अपनी आत्मीयता और सहयोग का यक़ीन दिलाते हुए कहा कि बरख़ुरदार! मैं तुम्हें खोंते रफ़ू करना, आटा गूंधना और हर तरह का सालन पकाना सिखा दूंगा।
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जिस तरह फटे कपड़ों को सुई जोड़ती है उसी तरह स्त्री भी अपने परिवार को आत्मीयता के धागों से पिरोती है-” इनसानों को जोड़कर सी लेना चाहती हूँ / फटते भूखंडों पर / पैबंद लगाना चाहती हूँ / कटते भाव-विभेदों को / रफ़ू करना चाहती हूँ / चीथड़ों में फिरनेवाले लोगों के लिए / हर चबूतरे पर / सिलाई मशीन बनना चाहती हूँ।